विश्व हिंदी सम्मान

Ratnakar Narale

Namaste
Toronto  Canada 
RESEARCH and PUBLICATION
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Prof. Ratnakar Narale.
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Ratnakar's Important Cultural Books

रत्नाकर के साहित्य सागर की कुछ झलकियाँ

ISBN 9781989416570

अठारह महापुराण विद्या

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-29-7

Pages : 518

पुराणों की दंतकथाओं के बीच और अतिरिक्त जो वि^a और विवेक भंडार विद्यमान है उस ज्ञानामृत को सूक्ष्म बुद्धि की छलनी से छान कर जो प्रतीति नवनीत प्राप्त होगा वह इस बोध परक ग्रंथ में प्रस्तुत किया गया है.

 अठारह महापुराणों को पाठकों की सुविधा के लिए वर्णानुक्रम से :

1. अग्नि महापुराण, 2. कूर्म महापुराण, 3. गरुड महापुराण, 4. नारद महापुराण, 5. पद्म महापुराण, 6. ब्रह्म महापुराण,

7. ब्रह्मांड महापुराण, 8. ब्रह्मवैवर्त महापुराण, 9. भविष्य महापुराण, 10. भागवत महापुराण, 11. मत्स्य महापुराण, 12. मार्क>डेय महापुराण,

13. लिंग महापुराण, 14. वराह महापुराण, 15. वामन महापुराण, 16. वायु महापुराण, 17. विष्णु महापुराण, 18. स्कन्द महापुराण.

 

कालिदास के आठ महाकाव्य

1. ऋतुसंहार, 2. कुमारसंभव, 3. नलोदय, 4. मालविकाग्निमित्र,

5. मेघदूत, 6. रघुवंश, 7. विक्रमोर्वशी, 8. शकुन्तला

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-25-9

Pages : 520

संस्कृत महाकवि कालिदास के ऋतुसंहार, कुमारसंभव, नलोदय, मालविकाग्निमित्र, मेघदूत, रघुवंश, विक्रमोर्वशी, शकुन्तला आदि आठ प्रमुख नाटक-महाकाव्य एक ही स्थान में सरल हिंदी में रसर्च-स्कालर, संशोधक, छात्र, कवि या साहित्य प्रेमियों के लाभ के लिए यह एक संयुक्त महाकाव्य अपूर्व रूप में लिखा गया है. यहकालिदास के आठ महाकाव्य का काव्य सिंधु सरल हिंदी भाषा के दोहा छंदसूत्र के अनुसार एवं रागों, छंदो और गीतों के साथ अलंकारमय किया गया है. इस अपूर्व महाकाव्य की सत्यनिष्ठता प्रस्थापित करने और कायम रखने के लिए कालिदास महाकवि के मूल संस्कृत पद्य क्रमानुसार यथा योग्य साथ-साथ दिए हैं. आशा है प्रस्तुत अष्ट-महाकाव्य-सागर पाठकों और छात्रों को रुचिकर एवं लाभदायक हो. यह महाकाव्य वर्तमान हिंदी साहित्य जगत में एक अनुपम एवं महान संयोजन है.

 

भवभूति के महाकाव्य

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-19-8

Pages : 200

1. उत्तररामचरित

2. महावीरचरित

3. मालतीमाधव

संस्कृत महाकवि भवभूति के उत्तररामचरित, महावीरचरित और मालतीमाधव महाकाvयों पर आधारित रत्नाकर की दोहाबद्ध और काव्यमय प्रस्तुति. भवभूति का उन्नीस छंदों और अठत्तीस अलंकारों का उत्तररामचरित नाटक नाना रसों से ओतप्रोत भरा हुआ है. मालतीमाधव नाट्य करुण रस प्रधान है और मधुरतम वाणी की उदारता में ढला है. प्रेम की विशुद्धता और तारतम्य भाव की प्रौढ़ता से उन्हें कान्यकुब्ज दरबार में कविरत्न और काक्पतिराज की उपाधियाँ प्राप्त थीं. कहा गया है की भवभूति की रसना पर मा सरस्वती विराजमान थी. हिंदी सहित्य की समृद्धि में यह एक अनमोल योगदान है.

 

कालिदास के  शकुन्तला छंद मीमांसा

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN 978-1-989416-61-7

Pages : 272

संस्कृत महाकवि कालिदास के शकुन्तला की छंद मीमांसा. कविवर कालिदास जी को ऋतुसंहार महाकाव्य लिखते समय वाणी को रसमय और सुंदरतम अलंकृत करने के साथ-साथ ही छंद-सूत्र के अनुसार लघु-गुरु मात्राओं की सुत्रबद्धता सिद्ध करने के लिए, क्या-क्या कष्ट झेलने पड़े थे उनकी सूक्ष्म मीमांसा सुव्यवस्थित रीति से यहाँ की गई है. यही पेचीदा समस्याएँ कविवर कालिदास ने शकुन्तला महाकाव्य लिखते समय भी झेली थीं. उस महान काव्य की संक्षिप्त छंद मीमांसा आगे वाली पुस्तक में विद्यमान है.

A Research Work on the Prosody of the epic Shakuntala of the Great Poet Laureate Kalidas. While writing the Epic of Shakuntala, poet Kalidas, in order to make the language ornate and most beautiful, as well as to prove the coherence of the short and long vowels according to the formula of the meters, what intricacies he had to go through is explained here in a systematic manner. It is hoped that this study will inspire and provide ample material for the thinkers, students and the research scholars.

 

कालिदास के  मेघदूत की छंद मीमांसा

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN 978-1-989416-59-4

Pages : 200

संस्कृत महाकवि कालिदास के मेघदूत महाकाव्य की छंद मीमांसा. कविवर कालिदास जी को मेघदूत महाकाव्य लिखते समय वाणी को रसमय और सुंदरतम अलंकृत करने के साथ-साथ ही छंद-सूत्र के अनुसार लघु-गुरु मात्राओं की सुत्रबद्धता सिद्ध करने के लिए, क्या-क्या पापड़ बेलने पड़े थे उनकी सूक्ष्म मीमांसा सुव्यवस्थित रीति से यहाँ की गई है. यही पेचीदा समस्याएँ कविवर कालिदास ने ऋतुसंहार और शकुन्तला महाकाव्य लिखते समय भी झेली थीं उन दोनों की संक्षिप्त छंद मीमांसा आगे वाली दो पुस्तकों में विद्यमान है.

A Research Work on the Prosody of the epic poem of Meghdoot of the Great Poet Laureate Kalidas. While writing the Epic of Meghdoot, poet Kalidas, in order to make the language ornate and most beautiful, as well as to prove the coherence of the short and long vowels according to the formula of the meters, what intricacies he had to go through is explained here in a systematic manner. The same complex problems were faced by poet Kalidas while writing his two other great works, Ritu-samhar and Shakuntala. The analysis of the meters in these both epics is given in our next two books. It is hoped that this study will inspire and provide ample material for the thinkers, students and the research scholars.

 

कालिदास के  ऋतुसंहार की छंद मीमांसा

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN 978-1-989416-60-0

Pages : 183

संस्कृत महाकवि कालिदास के ऋतुसंहार महाकाव्य की छंद मीमांसा. कविवर कालिदास जी को ऋतुसंहार महाकाव्य लिखते समय वाणी को रसमय और सुंदरतम अलंकृत करने के साथ-साथ ही छंद-सूत्र के अनुसार लघु-गुरु मात्राओं की सुत्रबद्धता सिद्ध करने के लिए, क्या-क्या कष्ट झेलने पड़े थे उनकी सूक्ष्म मीमांसा सुव्यवस्थित रीति से यहाँ की गई है. यही पेचीदा समस्याएँ कविवर कालिदास ने शकुन्तला महाकाव्य लिखते समय भी झेली थीं वह छंद मीमांसा यहाँ विद्यमान है.

While writing the Epic of Ritu-samhar, poet Kalidas, in order to make the language ornate and most beautiful, as well as to prove the coherence of the short and long vowels according to the formula of the meters, what intricacies he had to go through is explained here in a systematic manner. The same complex problems were faced by poet Kalidas while writing his two other great work, Shakuntala. The analysis of the meters in this great epic is given in our book. It is hoped that this study will inspire and provide ample material for the thinkers, students and the research scholars.

 

शंकराचार्य के  विवेकचूडामणि की छंद मीमांसा

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN 978-1-989416-90-9

Pages : 440

अद्वैत वैदिक धर्म के पुनरुत्थापक आदि शंकराचार्य के महान तात्त्विक चिकित्सा ग्रंथ विवेकचूडामणि के छंदों की यह वैयाकरणीय मीमांसा है. संस्कृत के विशाल साहित्य सागर के महाकाव्य संपदा में 193 छंद-उपछंदों का जितना विस्तृत सोदाहरण प्रयोग छंद प्रचुर विवेकचूडामणि में विद्यमान है उतना अन्यत्र कहीं प्रयुक्त नहीं है. कविवर शंकराचार्य जी की सुंदरतम और अलंकृत वाणी के प्रत्येक पद्य के प्रत्येक चरण का छंद-सूत्र, संधिविग्रह और उनका विश्लेषण सुव्यवस्थित रीति से तालिकाबद्ध पद्धति से यहाँ सुविधाजनक प्रस्तुत किया है. 

    This book is a Research Work on the Prosody of the epic Vivekchudamani poem of the Great Poet Shankaracharya. It has a deep analytical and grammatical study of 193 meters and sub meters of Vivekachudamani. It is hoped that this study will inspire and provide ample material for the thinkers, students and the research scholars.

 

गीता की छंद मीमांसा

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN 978-1-989416-17-4

Pages : 324

This unique book has Grammatical analysis of all 108 Chhandas that can be found in the 701 verses of the Bhagavad Gita. The Chhanda analysis and their charts presented in this book do not exist in any book. It is a treasure of valuable information for research scholars and serious Sanskrit Students.

संस्कृत, काव्य, छंद औक व्याकरण स्कालर्स के लिए गीता का छंद मीमांसा एक मात्र ऐसी पुस्तक है जिसमें मात्रा, गण, छंद, श्लोक, आदि संज्ञाओं का सविस्तर विवेचन करके गीता के सभी 701 पद्यों के सभी 2804 चरणों के सभी वर्णों की मात्राएँ, गुण, गण और छंदों का हर विधि से विवरण, हर रीति से जाँच, सुव्यवस्थित वैयाकरणीय विश्लेषण और वर्गीकरण करके यथोचित तालिकाओं मे प्रस्तुत किया गया है. गीता के एवं छंदों के स्कॉलर, पंडित और जिज्ञासुओं के लिए यह मीमांसा एक अनमोल देन है. इस मीमांसा के द्वारा ही हमें ज्ञात होता है कि गीता में 108 विभिन्न छंद विद्यमान हैं और यहाँ उन सभी 108 छंदों का स्वरूप, व्याख्या, उदाहरण और गीता में उपस्थित पुनरावृत्ति का गहन अभ्यास दृष्टिगोचर होता है. इस पुस्तक में प्रस्तुत विशेष तालिकाएँ और मनोरम विश्लेषण अन्यत्र कहीं भी विद्यमान नहीं है. गीता के 108 छंदों के सविस्तर अभ्यास के अतिरिक्त इस पुस्तक में रुचि के लिए कुछ अन्य लोकप्रिय छंदों का भी स्वल्प अभ्यास भी दिया गया है.

 

हिंदू राजतरंगिणी, हिंदी

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-09-9

Pages : 300 Colour

हमारी ब्रह्म निर्मित सनातन हिंदू संस्कृति प्रजापतियों द्वारा प्रजनित होकर राजा-प्रजा की परंपरा में विकसित होती हुई जिन महान वंश-वृक्षावलियों में जंबु द्वीप से भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया तक गौरवशाली मंदिर-मूर्ति शिल्पकला के माध्यम से अमर हुई, उनका ऐतिहासिक मानचित्रों सहित रंगीन चित्रण इस हिंदू राजतरंगिणी में हिंदी-संस्कृत के अग्रणी साहित्यकार प्रो. रत्नाकर नराले द्वारा प्रस्तुत है.

            यह अद्वितीय पुस्तक ब्रह्ममानसपु्त्र प्रजापति अत्रि के राजवंश से आरंभ होकर इक्ष्वाकु, ययाति, रघु, कुरु, यदु, नंद, मौर्य, सातवाहन, कुशाण, चोल, पांड्य, गुप्त, वाकाटक, पल्लव, कदंब, गंग, बाण, वर्मा, अहोम, चालुक्य, चेर, शिलाहार, परमार, हिंदू शाही, सोलंकी, चौहान, राष्ट्रकूट, होयसल, सेन, कलचुरि, नायक, सिसोदिया, वाडियार, वाघेला, भोसले, पेशवा, होलकर, सिंधिया, डोगरा, आदि प्रमुख यथा अनगिनत अन्य हिंदू राजवंशों के सांस्कृतिक योगदान का दिग्दर्शन कराती है.

            पाठकों की ज्ञानवृद्धि, जानकारी और सुविधा के लिए प्रत्येक राजवंशावलि के राजाओं के नाम के साथ उनका पारिवारिक संबंध और राज्यकाल अनुक्रम से देकर उस राजवंश की राज्य सीमा का रंगीन मानचित्र दिखलाया है. उचित स्थानों में राजाओं के सिक्के, राजचिह्न, गद्य और पद्यमय वर्णन देकर पुस्तक को सुंदर सजाया है. प्रत्येक राजवंशावलि के आरंभ में उस वंशावली के पूर्व वंशावली का संदर्भ और अंत में उस वंशावली के आगे वाले वंशावली का संदर्भ दिया है. इस शोधपरक विशाल पुस्तक में विविध अनुक्रम तालिकाओं के द्वारा किसी भी वंशावली को उसके नाम से अथवा कार्यकाल से खोजा जा सकता है, तथा ही किसी भी राजा को उसके नाम से अथवा कार्यकाल से खोजा जा सकता है. किसी भी काल में कौनसा राजवंश या कौनसा राजा विद्यमान था, यह भी देखा जा सकता है. किसी भी राजवंश के पूर्व ब्रह्मा तक या बाद में 1948 तक कौनसे राजवंश आए यह भी वंशशृंखला के रूप में चाहो तो निश्चित किया जा सकता है.

            भारत की स्वतंत्रता के पूर्व एक हजार वर्ष और स्वातंत्र्य के बाद भी पीछले 70 साल से हमारी दिव्य हिंदू संस्कृति और इतिहास को दबाया, छुपाया, झुठलाया, नजरअंदाज, अप्रकाशित और बदनाम किया गया है. मगर अब उसे प्रकाशित और उपलब्ध करना अपना दायित्व समझ कर यह पुस्तक लिखी है. आशा है कि यह अनुसंधान पूर्वक ज्ञानगंगा अज्ञाता और ज्ञाता पाठकों की ज्ञान वृद्धि करे और रिसर्च स्कालर्स के लिए अमर्याद सामग्री का भंडार बन कर अतुलनीय योगदान करे. हमारे हिंदी-अहिंदी भाषी पाठकों के हित के लिए यह राजतरंगिणी हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में लिखी गई है.

 

Hindu RajTarangini, English

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-04-4

Pages : 334 Colour

Our Brahma-originated Sanatan Hindu Culture, which was propagated by the Prajapatis and developed into a King-Subject tradition and whose great Royal Lineages were immortalized through glorious temple sculpture arts from Jambu Dvipa to Bharat and Southeast Asia. This unique book “Hindu RajTarangini” by our Leading Hindi-Sanskrit scholar is colorful presentation of this sacred history. It is decorated with suitable historical maps.

            This unique book begins from the ancient dynasty of Brahmamanasputra Prajapati Atri and it continues through the dynasties of Ikshvaku, Yayati, Raghu, Kuru, Yadu, Nanda, Maurya, Satavahana, Kushan, Chola, Pandya, Gupta, Vakataka, Pallava, Kadamba, Ganga, Bana, Varma, Ahom, Chalukya, Chera, Shilahar, Parmar, Hindu Shahi, Solanki, Chauhan, Rashtrakuta, Hoysala, Sen, Kalachuri, Nayak, Sisodiya, Wadiyar, Vaghela, Bhosale, Peshwa, Holkar, Scindia, Dogra, etc. as well as countless other Hindu Dynasties and their cultural contributions.

            For augmenting the knowledge and for the convenience of the readers, a colorful map of the territory of rule of that dynasty is shown along with the names of the kings of each dynasty, their family relationships and their period of reign in chronological sequence. The book is beautifully decorated by giving pictures of coins and royal emblems and prose and poetic descriptions of the kings at appropriate places. At the beginning of each dynasty a reference of the lineage before that dynasty and at the end a reference to the following lineage is also given. In this huge research work, through various indices and tables, any lineage can be searched by its name or tenure, and any king can be located by his name or period of rule. It can also be seen which dynasty or which king ruled during any period. Interestingly, we can trace which dynasties came previous to any dynasty right up to Brahma or we can determine which dynasties came after that dynasty up to the year 1948, in the form of a chain of lineages.

            For a thousand years before India's independence and for the last 70 years even after independence, our divine Hindu culture and history has been suppressed, hidden, denied, ignored, unpublished and defamed. But now considering it as our responsibility to publish and make it available, this book is written. It is hoped that this research based river of knowledge will augment the knowledge of the readers and will make an incomparable contribution to the knowledge seekers and scholars by becoming a storehouse of research material. For the benefit of the Hindi as well as non-Hindi speaking people, this RajTarangini is suitably written in both Hindi as well as English languages.

 

महाराणा प्रताप चरित्र, हिंदी

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-38-9

Pages : 130

महाराजा चाच, दाहीर, बप्पा रावल, पृथ्वीराज चौहान, लक्ष्मणसिंह, महारानी पद्मिनी, हम्मीरसिंह, राणा मोकल, राणाकुम्भा, महाराणा संग्रामसिंह, महाराणा उदयसिंह सहित राजपूताने के संपूर्ण इतिवृत्त और राजपूत वंशावलियों और मानचित्र-नक्षों समेत महावीर महाराणा प्रतापसिंह के स्वर्गारोहण तक के विस्तृत हृदयंगम इतिहास का दोहा छंद में गीत संगीत के साथ प्रातःस्मरणीय चरित्र.

 

 

श्री शिवाजी चरित्र दोहावली, हिंदी

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-14-3

Pages : 300

यह ऐतिहास्कि महाकविता छत्रपति श्री शिवाजी महाराज के अद्भुत इतिवृत्त का संगीतमय शिवलीलामृत है. इस के तीन सहस्र से अधिक दोहों में और एक शत से अधिक नूतन एवं राष्ट्रभक्ति हिंदी गीतों में राष्ट्रप्रेम और प्रेरणा का रहस्य ओतप्रोत भरा हुआ है. मराठों का अनुसंधानात्मक पूर्ववृत्त इस महत्कार्य की एक अनूठी विशेषता है.

        महावीर बाप्पा रावल से आज तक के सभी स्वतंत्रता सेनानी और भारत के शहीद और प्रस्तुत जवानों के परम त्याग बलिदान को यह चरित्र ससम्मान समर्पित है.

 

 

काव्य शिवाजी चरित्र, मराठी

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-39-6

Pages : 360

शिव अवतार छत्रपति शिवाजी महाराजंच्या अद्भुत इतिहासाची राष्ट्रभक्ति गीतांनी ओतप्रोत भरलेली ही मनोरम संगीतमय कविता पुरातन ओवी छंदामध्ये पण वर्तमान मराठी भाषेत प्रस्तुत आहे. मराठ्यांचे अनुसंधानात्मक समूळ पूर्ववृत्त हे ह्या गाथेचे एक खास वैशिष्ट्य आहे.


 

काव्य कृष्णायन

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-38-9

Pages : 550

महाकाव्य ऐसा हुआ है होगा कभी. बाल श्रीकृष्ण का सर्वतोपरी दैवी अद्भुत लीलाओ> से ओतप्रोत भरा हुआ मनोरम चरित्र और योगेश्वर श्रीकृष्ण का आध्यात्मिक गहनता से परिपूर्ण प्रतिभावान चरित्र जागतिक इतिहास में अनुपम तो है> ही, उनको नये रूप से लिख कर उनकी उत्तमतम छंद, राग सरगम से अलंकृत कवितारूप यह प्रस्तुति अपूर्व, असामान्य एवं अद्वितीय है. स्वरलिपि युक्त संगीत-कृष्णायन विश्व का सर्वप्रथम और एकमेव इतिहास रचेता महाकाव्य है.

 भारतीय संस्कृति का ऐसा कोई भी पहलू नहीं है जो इस अनूठे महाकाव्य में रुचिरता से सन्नद्ध किया हो. यह केवल काव्य मात्र ही नही बल्कि यह गंभीर संशोधन से भरा हुआ शोधप्रबंध भी है. यह काव्य-संगीत प्रेमियो>के लिये राग-छंदों का दोहाबद्ध व्याख्याओ> का ऐसा विशाल भांडागार है जैसा अन्य कहीं भी विद्यमान नहीं है. यह स्वरलीपी से परिपूर्ण महान ग्रंथ लेखक की दस वर्षो> की काव्य तपस्या संगीत साधना है.

 

बालकृष्ण दोहावली

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-94-5

Pages : 200

प्रस्तुत बाल श्रीकृष्ण दोहावली महाकाव्य सर्वतोपरी दैवी अद्भुत लीलाओं से ओतप्रोत भरा हुआ व आध्यात्मिक गहनता से परिपूर्ण, प्रतिभावान और जागतिक इतिहास में अनुपम है. विशेष बात यह कि इस काव्य के दोहे बोलचाल की साधारण सरल हिंदी भाषा में ही रचे गए हैं. भारतीय संस्कृति का ऐसा कोई भी पहलू नहीं है जो इस अनूठे महाकाव्य में रुचिरता से सन्नद्ध न किया हो. यह काव्य प्रेमियों के लिये दोहाबद्ध विशाल भांडागार है. इसके किसी भी गीत के हारमोनियम स्वर लिपि के लिए संपर्क करें.

 

राधाकृष्ण दोहावली

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-07-5

Pages : 260

प्रस्तुत राधाकृष्ण दोहावली काव्य सर्वतोपरी दैवी एवं अद्भुत लीलाओं से ओतप्रोत भरा हुआ है. यह आध्यात्मिक गहनता से परिपूर्ण, प्रतिभावान और जागतिक इतिहास में अनुपम है. विशेष बात यह है कि इस काव्य के दोहे बोलचाल की साधारण सरल हिंदी भाषा में ही रचे गए हैं. भारतीय संस्कृति का ऐसा कोई पहलु नहीं है जो इस अनूठे काव्य में रुचिरता से सन्नद्ध न किया हो. यह काव्यप्रेमियों के लिए एक छंदबद्ध विशाल भांडागार है. इसके किसी भी गीत के हारमोनियम स्वर लिपी के लिए कृपया लेखक से संपर्क करें.

 

गीता दोहावली

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-08-2

Pages : 260

दोहा छंद में रचित यह दुनिया की एक लंबी संगीतमय हिन्दी कविता है । इसके 2000 दोहे श्रीमद्भगवद् गीता के 700 श्लोकों के साथ संलग्न हैं यह कृति न तो अनुवाद है और न ही भाष्य है, बल्कि यह भगवद् गीता पर एक भक्ति संगीत काव्य है इस का काव्य का उद्देश्य गीता के लिए उचित पृष्ठभूमि प्रदान करना और गलत धारणाओं और लापता कड़ियों को दूर करना है, जो गीता की टीकाओं में निहित हैं दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली संगीतमय भारतीय भाषा हिंदी है, जिसका वर्तमान स्वरूप इस काव्य में प्रयुक्त है यह दोहावली आध्यात्मिक ज्ञान का एक महासागर है

 

Title Gita As She Is In Krishna’s Own Words, 3 Volume Set

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-56-3

Pages : 360 Colour

About the Book :

Hard Cover, Coloured Edition, with Illustrations. This is a critical research work. This book is a lifetime study for one who has dedication and patience to learn and contemplate on every word of the divine Gita. May you be a new learner, a scholar, an author, a swami, a Professor or an Institution, this is the right resource for a critical study for those who wish to go beyond. If one wants to learn or teach Gita through Sanskrit and Sanskrit through Gita, there is no substitute. From an elementary level to most scholarly level, to know the "Gita As She is in Krishna's Own Sanskrit Words," this book is the sole authority. Regardless of how many books on Gita you may have read, studied or written, while going through this treasure of information, you will discover many Surprises, Interesting facts and Important points, which you would never have known without going through this book. This books removes all the misconceptions and wrong notions one has collected without properly knowing what the Sanskrit words of Krishna truly mean. Seeing is believing.

गीता अनुष्टुभ् संस्करणम्

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-12-9

Pages : 230

Gita Anushtubh Sanskaranam is world’s first Sanskrit recension of the Gita and its background, composed wholly in Anushtubh Shlokas.This Sanskrit gem is Ratnakar’s greatest Composition. Those who wish to receive a free copy of “रत्नाकर रचितं गीतोपनिषद् महाकान्यम्,” please send your requests to the author.

 

गीता का शदकोश और अनुक्रमणी

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-15-0

Pages : 420

It is Gita Shabdanushasan. It is a systematically laid out one-of-a-kind All-in-one Gita-Dictionary, Gita-Grammar, Gita-Thesaurus, Gita-Reference and Gita-Index, in Devanagari Sanskrit-Hindi. It is a Systematically laid out, One-of-a-Kind, All-in-One Gita-Dictionary, Gita-Grammar, Gita-Thesaurus, Gita-Reference, Gita-Index and much more, in Devanagari Sanskrit-Hindi. It is a treasure of knowledge got the Gita Students, Gita Teachers, Gita Scholars and Gita Lovers.

 

गीता पठनम्, संस्कृत, English

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-19-8, ISBN : 978-1-989416-20-4

Pages : 80

Shlokas of the Bhagavad Gita are arranged in 8 syllable sections and two columns for proper singing and recitation. The text is printed in bigger size Devanagari Sanskrit Font for comfortable reading.

 

 

गीता ज्ञान कोश, मराठी

ISBN : 978-1-989416-15-0

Pages : 500

This is a critical research work. This book is a lifetime study for one who has dedication and patience to learn and contemplate on every word of the divine Gita. May you be a New learner, a Scholar, an Author, a Swami, a Professor or an Institution, this is the right resource for a critical study for those who wish to go beyond.

          If one wants to learn or teach Gita through Sanskrit and Sanskrit through Gita, there is no substitute. From an elementary level to most scholarly level, to know the Gita As She is in Krishna's Own Sanskrit Words, this book is the sole authority.

          Regardless of how many books on Gita you may have read, studied or written, while going through this treasure of information, you will discover many Surprises, Interesting facts and Important points, which you would never have known without going through this book. This books removes all the misconceptions and wrong notions one has collected without properly knowing what the Sanskrit words of Krishna truly mean. Seeing is believing.

 

काव्य रामायण

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-37-2

Pages : 600

इतिहास रचनेवाला संगीत यह महाकाव्य अद्भुत है. रघुवीर श्रीराम चंद्र परम भक्त श्री हनुमान के सर्वतोपरी दैवी अद्भुत लीलाओ से ओतप्रोत भरा हुआ यह मनोरम चरित्र आध्यात्मिक गहनता से परिपूर्ण चरित्र जागतिक इतिहास में अनुपम है. नये रूप रामायण लिख कर उसे उत्तमतम छंद, राग सरगम से अलंकृत की हुई यह कवितारूप प्रस्तुति अपूर्व, असामान्य एवं अद्वितीय है.

     भारतीय संस्कृति का ऐसा कोई भी पहलू नहीं है जो इस अनूठे महाकाव्य में रुचिरता से सन्नद्ध किया हो. यह केवल काव्य मात्र ही नही बल्कि यह गंभीर संशोधन से भरा हुआ सचित्र शोधप्रबंध भी है. यह काव्य-संगीत प्रेमियो के लिये राग-छंदों का दोहाबद्ध व्याख्याओ>का ऐसा महान भांडागार है जैसा अन्य कहीं भी विद्यमान नहीं है. यह स्वरलीपी से परिपूर्ण महान ग्रंथ लेखक की दस वर्षो की काव्य तपस्या संगीत साधना है. विश्व का पहिला रामायण श्री वाल्मीकि जी का था, उनके बाद श्री तुलसी रामायण और फिर अनेकों रामायण निकले, परंतु प्रस्तुत काव्य विश्व का सर्वप्रथम और एकमेव इतिहास रचेता स्वरलिपि युक्त संगीत-रामायण है.

 

रामायण दोहावली

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-13-6

Pages : 575

मनोरम 5200 दोहों का, रागबद्ध गीत-संगीत महाकाव्य ऐसा कभी हुआ होगा. रघुवीर श्रीराम चंद्र परम भक्त श्री हनुमान के सर्वतोपरी दैवी अद्भुत लीलाओं से ओतप्रोत भरा हुआ यह मनोरम चरित्र आध्यात्मिक गहनता से परिपूर्ण चरित्र जागतिक इतिहास में अनुपम हैं. नये रूप में रामायण लिख कर उसे उत्तमतम छंद, राग सरगम से अलंकृत की हुई यह दोहाबद्ध कवितारूप प्रस्तुति अपूर्व, असामान्य एवं अद्वितीय है.

तुलसी रामायण दोहावली

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-897416-19-8

Pages : 1000

रघुवीर श्रीराम चंद्र परम भक्त श्री हनुमान के सर्वतोपरी दैवी अद्भुत लीलाओं से ओतप्रोत भरा हुआ यह मनोरम चरित्र आध्यात्मिक गहनता से परिपूर्ण चरित्र जागतिक इतिहास में अनुपम हैं. उत्तमतम छंद, राग सरगम से अलंकृत की हुई यह दोहाबद्ध कवितारूप महाविशाल रचना प्रस्तुत अप्रकाशित है.

 

संगीत श्रीसत्यनारायण व्रत कथा

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-83-9

Pages : 100

श्री-सत्य-नारायण व्रत की नई संगीत कथाएँ यहाँ स्कंद पुराण के रेवा खंड में भगवान व्यास मुनि द्वारा वर्णित दिव्य कहानियों के साथ प्रस्तुत की गई हैं. व्यास मुनि के लेखन को अंतिम सत्य के रूप में रखते हुए, नई कहानियों को पाठकों के सवालों के जवाब देने और उनकी शंकाओं, भ्रम और गलतफहमी को दूर करने के लिए सुलझाया जाता है. इन कहानियों को पढ़ते हुए, जो पाठक पहले से ही अन्य स्रोतों से कहानियों को जान चुके हैं, वे सकारात्मक अंतर को देखेंगे. वर्तमान कहानियों में, कोई अकृत्रिम या असंगत विवरण नहीं है. प्रत्येक कहानी में प्रत्येक दृश्य के समकालीन बारीक विवरण को सावधानीपूर्वक शामिल करने के लिए देखभाल भी की जाती है. कहानियों को लिखते समय, यह विशेष रूप से समझा जाता है कि सुरक्षा देने के दौरान, प्रभु भक्तों और उनकी संपत्ति को अस्थायी रूप से अपने भक्तों के लिए दंडित करने की प्रक्रिया के दौरान कोई नुकसान या विनाश नहीं होने देते हैं. सत्यनारायण कथा के पुराने पाठक इन कहानियों को थोड़ा अलग पा सकते हैं, क्यों कि यहाँ भगवान लोगों और संपत्ति को होने वाले किसी भी स्पष्ट नुकसान को पुनर्स्थापित करते हैं. इस विशेष अच्छे कारण के लिए, मेरा नया श्री-सत्य-नारायण व्रत कथा सागर थोड़ा अलग है जिससे कि आप यही कहानियाँ कहीं और पुस्तक में पढ़ेंगे.

 

Yoga Sutras of Patanjali, with Asana Steps

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-88-4

Pages : 270, full size

(A) Samadhipadah : Definitions embedded in the Yoga Sutras, The Science of Yoga

1. Yoga defined 2. Mind-set 3. Proof 4. Perversion 5. Unreality 6. Unawareness 7. Revelation 8. Non-attachment 9. Non-desire in the fruit of karma 10. Oneness

(B) Sadhanapadah : 11. Discipline of right actions 12. Affliction 13. The perverse state of mind 14. Illusion of Indifference 15. Attachment 16. Hatred 17. Fear of Death 18. The root of afflictions 19. Unhappiness 20. The perceptible world 21. Attributes 22. Beholder 23. Beheld 24. Union 25. Perversion of mind 26. Future pains and Liberation 27. Discernment 28. Cognition 29. Component of Yoga 30. Self-controls 31. Universality 32. Restraints 33. Doubt, Violence 34. Obstacles 35. Non-violence 36. Truthfulness 37. Celibacy 38. Abstinence 39. Purity 40. Contentment 41. Austerity 42. Study of scriptures 43. Faith in God 44. Steady State 45. Indifference to Duality 46. Breath Control 47. Uniformity

(C) Vibhutipadah : 48. Steady Abstraction 49. Concentration 50. Meditation 51. Restraint 52. Light of Cognition 53. Interior 54. Exterior 55. One-pointedness 56. Righteous 57. Reason and Result 58. Perception of Speech 59. Reincarnation 60. Intuition 61. Becoming Invisible 62. Knowledge of Death 63. Strength like an Elephant 64. Knowledge of Remote Objects 65. Knowledge of Universe 66. Hunger and Thirst Control 67. Knowledge of Energy Centers 68. Universal Knowledge 69. Self Realization 70. Knowledge of Universe 71. Success 72. Entering in Other’s Body 73. Micro hearing 74. Arial Travel 75. Aura 76. Conquering the Nature 77. Beauty and Strength 78. Conquering Organs 79. Liberation

(D) Kaivalyapadah : 80. Success 81. Change of Genera 82. Unification of Vision and Visibility 83. Deed 84. Fruit, Result 85. Nature and Properties 86. Modes, ways 87. Selflessness 88. Meditation 89. Sequential Perception 90. Final liberation

 

सारेगम संगीत गुरु

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-28-0

Pages : 250

संगीत सिखने, सिखाने एवं आनंद लूटने के लिय सभी नये हंदी गीतों सहित इतिहास कर्त्री पुस्तक.

हारमोनियम पर भारतीय संगीत बजाने और गाने का अर्थ है अपने हारमोनियम के सुर और अपनी आवाज को तबले के बोल के साथ संतुलित करना. हारमोनियम एक रीड वाद्य होने के कारण, इसके सुर हमारे वोकल कॉर्ड के स्वर के काफी करीब होते हैं. जिस तरह हम हमेशा एक ही नियमित स्वर में हर शब्द को बोलते या गाते नहीं हैं, वैसे ही हारमोनियम के स्वरों को भी नरम, मध्य या कठोर स्वरों में बदलना पड़ता है. गीत के शब्द और मनोदशा और गायक की आवाज से मेल खाने के लिए धीरे, मध्य या तेज गति में बदला जाता है. विभिन्न 50 रागों में विभिन्न तालों पर लिखे हुए 150 स्वर लिपिबद्ध नए गीतों की यह एक अद्वितीय मनोरम पुस्तक है.

 

गीत रत्नाकर, रत्नाकर का भक्ति गीत सागर

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-11-2

Pages : 500

इस बृहत् पुस्तक में हमारी उज्जवल भारतीय सांस्कृति के 150 से अधिक विभिन्न विषयों पर लिखे हुए सुंदर श्री गणेश, देवी सरस्वती, भगवा ध्वज, भारत राष्ट्र गौरव, जय जवान, महाराष्ट्र गौरव, माता-पिता गौरव, राष्ट्रभाषा हिंदी, देववाणी संस्कृत, महाराष्ट्र भाषा मराठी, लक्ष्मी नारायण, गजेंद्र मोक्ष, सूर्य नारायण, सत्यनारायण भगवान, शिव-पार्वती-गणेश, ब्रह्म विष्णु महेश, श्रवण कुमार, दशरथ जी, रामचंद्र प्रभु, जनक जी, सीताराम, सीता देवी, वनवास गमन, वीर जटायु, वीर संपाती, गुह निषाद, नीतिवीर विभीषण, सुबंधु लक्ष्मण, सुबंधु भरत,

          महावीर हनुमान, सेतु बंधन, लंका दहन, छातीफाड़ हनुमान, पुष्पक विमान, रामराज्य, दीपावली, रामायण, लव-कुश, कृष्ण कुमार, देवकी नंदन, कृष्ण कन्हैया, गोविंद, माखन चोरी, हरि घनश्याम, नंद गोपाल, रासलीला, राधेश्याम, मोहन, नंद किशोर, राधाकृष्ण, नटखट श्याम, मुरली वाला, पूतना वध, वत्सासुर वध, तृणावर्त वध, बकासुर वध, अघासुर वध, गोवर्धनधारी, कालिया मर्दन, केशिनीषूदन, कंस निकंदन, योगेश्वर श्रीकृष्ण, अध्यात्म ज्ञान, ब्रह्मज्ञान, माया, आत्मशाँति-विश्वशाँति, वसुधैव कुटुम्बकम्, भूत दया, वेद वाणी, अहिंसा, सांख्य योग, कर्मयोग, धर्म, ज्ञान-अज्ञान, धर्म युद्ध, अवतार, बुद्धि योग, भक्तियोग, भक्ति-भाव, भवचक्र, श्रद्धा, योग सिद्धि, प्रणव, विभूति योग, ज्ञान योग, पुरुष-प्रकृति, विश्वरूप दर्शन, संसार वृक्ष, गुणमाया, गीता सार,

          शबरी भीलनी, पुंजिकस्थला देवी, अहल्या देवी, अनसूया देवी, देवी मंदोदरी, महाराणी पद्मावती, भक्त मीरा बाई, राजमाता जिजाबाई, महारानी सईबाई, झाँसी की रानी, साँई, श्री दत्तात्रय, गुरु कृपा, नारद मुनि, वाल्मीक मुनि, व्यास मुनि, भरद्वाज मुनि, शरभंग मुनि, सुतीक्ष्ण मुनि, महर्षि पतंजलि, गुरु नानक, गुरु रामदास,

          वीर राजपूत लोग, महाराजा बाप्पा रावल, महाराजा चाच, महाराजा दाहीर, महाराणा संग, महाराणा प्रताप सिंह, वीर मराठा लोग, छत्रपति शिवाजी, अफजलखान वध, शाहिस्तेखान पराभव, शिवाजी राज्याभिषेक, वीर मुरारबाजी, वीर तानाजी, वीर बाजी प्रभु, वीर फिरंगोजी, सह्याद्री पर्वत, विंध्य पर्वत, सातपुड़ा पर्वत, सिंधु नदी, गंगा मैया, यमुना रानी, नर्मदा देवी, तापी देवी, गोदावरी देवी, कावेरी देवी, रामभूमि अयोध्या, तीर्थक्षेत्र चित्रकूट, पवित्र धाम पंचवटी, व्रजभूमि, मधुबन, मथुरा नगरी, वृंदावन, होली, कृष्ण की द्वारका, समृद्ध विजयनगर, तीर्थक्षेत्र तिकोटा, सावन ऋतु, आदि 150 से अधिक विषयों पर आसावरी, अड़ाना, अल्हैया बिलावल, बंजारा, मिश्र, बागेश्री, भैरव, भैरवी, बहार, भीमपलासी, बरहंस, भूपाली, देशकार, देस, दरबारी कान्हड़ा, दुर्गा, धुनी, गौड़ मल्हार, होरी खमाज, हमीर, भिन्न षड्ज, बिहाग, बिलावल, हिंडोल, तिलंग, तिलक कामोद, जंगला, जोगीया, जौनपुरी, जयजयवंती, केदार, काफी, कलावती, मालकंस, मारवा, मुल्तानी, शंकरा, शुद्ध सारंग, पीलू, प्रमाती, पूर्वी, पूरिया, पूरिया धनाश्री, रामकली, रासडा, रत्नाकर, खमाज, तोड़ी, वृंदावनी सारंग, यमन कल्याण, आदि 60 राग और अभंग, बालानंद, भुजंगप्रयात, चौपाई, दोहा, शिखरिणी, लावणी, शार्दूलविक्रीडित, श्लोक, पृथ्वी, वसंततिलका, आदि 12 छंदों के दादरा ताल, रूपक ताल, तीव्र ताल, कहरवा ताल, झप ताल, एक ताल, चौताल, तीन ताल, दीपचंदी ताल, और धमार ताल, आदि 12 तालों पर लिखे हुए हमारे नए गीतों में से मनोरम संगीतमय 668 गीत चुन कर प्रस्तुत किए हैं.

 

मेरे भजन

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-20-0

Pages : 30

संगीत सिखने और सिखाने के लिये स्वर लीपी सहीत भजनों की पुस्तक. हारमोनियम पर के सुर और तबले के बोल के साथ विभिन्न रागों में विभिन्न तालों पर लिखे हुए भजनों मनोरम पुस्तक.

 

Flip-Sorted Reverse-Order English Dictionary

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-13-6

Pages : 250

An Easy Tool for Searching English Words of Desired Word Endings. This valuable resource word search tool, with over 30,000 selected words rearranged and grouped alphabetically based on their spellings in reverse order starting from right to left, provides an easy way for finding specific or rhyming words. This Dictionary is useful for Students, Teachers, Writers, Poets, Crossword Solvers, Special Education Professionals and Communication Disorder Specialists.

 

The Thorough Devanagari Teacher

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-01-3

Pages : 100

This Thorough Devanagari Teacher is based on extensive Field Testing and R&D, Effective Techniques and Improved Ways beneficial to the Readers to give them success and proper return for their investment of Time and Money. The custom designed and unique presentations given in this book do not exist in any other book.

 

Sanskrit Primer

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-77-8

Pages : 200

This new COLOUR CODED and methodical book is based on extensive R&D, Effective Techniques and Improved Ways beneficial to the Readers to give them proper return for their investment of Time and Money. The COLOUR coding makes this book easy to use and effective in results. The book begins with simple primary steps and moves forward with authentic examples coupled with Progressive exercises suitable to each context to bring home the topic being discussed. The Vocabulary and Illustrations are selected carefully. You will not find such contemplative work in any Sanskrit learning book. It is a treasure of new ideas, techniques, information and reference material. It is rich with examples, exercises and “Answers to all Exercises.”

 

Sanskrit Teacher All-in-One

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-54-9

Pages : 700 pages

37 Chapters + 10 Appendices. This unique book is Transliterated in addition to the Sanskrit Script for the English readers. This giant 700+ page All-in-One book (37 Chapters + 10 large Appendices) is for all levels of Sanskrit Self Learning. It is a fine Sanskrit Tutor as well as a Complete Reference Manual for a novice as well as an expert. The book begins with basic Sanskrit Alphabet and progresses step-by-step to encompass every aspect of Sanskrit Grammar and its usage that one will not find in any other book. It even has some rare topics that one may not find elsewhere. It is a treasure of new ideas, techniques, information and reference material. The material at every stage is cumulatively reviewed under a novel entry called, ‘what we have learned so far.’ This cumulative learning is one of the beautiful aspects of this book. It is rich with examples, exercises and an important chapter of “Answers to all the Exercises.”

 

Sanskrit Grammar and Reference Book

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-68-6

Pages : 700 pages

Sanskrit Grammar and Reference Book by Prof. Ratnakar Narale is an ocean of essential information, in English Transliteration as well as in Sanskrit Devanagari script. This All-in-One manual includes complete Sanskrit Grammar and comprehensive Sanskrit Reference Book for all levels of learning. It has unique Charts, Flowcharts, Golden Rules, Dictionaries of Nouns, Adverbs, Verb Roots, Conjugations of every Sanskrit verb, Case Inflections all possible noun types, and every element of grammar you would ever need to know, but may not find elsewhere. It has all Chhand-Sutras of Pingala, Yoga-Sutras of Patanjali, and much more. A must for Sanskrit students, this book is one of its kind, worth its weight in gold. The question is not, “can you afford to buy it,” the question is “can you afford not to buy this priceless book?”

 

Hindi Teacher for Hindu Children

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-75-4

Pages : 300

Endorsed by great men, this book is methodically Colour Coded and incorporated with a Students English-Hindi Transliterated Dictionary. Language is the path way to the culture. Children are our precious wealth and our future. They need to be taught our lofty Hindu Values in a fun filled manner. While teaching the Hindi language, our children must be enlightened in the glorious Hindu Dharma, our beloved India, its holy Rivers and great Mountains, the interesting Indian Flora and Fauna, the glorious Hindu History, the righteous Hindu Ethics, the sacred Hindu Scriptures, the holy Hindu Gods, the noble Hindu Forefathers, the illustrious Hindu Heroes, the venerable Hindu Saints, the blissful Hindu Prayers, the grand Hindu Festivals, the peaceful Hindu People, the divine Hindu Worship, the celestial Hindu Temples, the classical Hindu music, the towering Hindu Discoveries in Science and Arts, the unique Hindu Philosophies of Yoga, Vegetarianism, Non-violence, and Universal brotherhood (वसुधैव कु़टुम्बकम्). Every Hindu child, learning Hindi language, must also be taught Hindu Sanskriti, Deva-Vani Sanskrit and the immortal Sanskrit shlokas. This the sincere Dharmic Objective of this book.

 This book is based on extensive Field Testing and R&D, Effective Techniques and Improved Ways beneficial to the Readers to give them success and proper return for their investment of Time and Money. The intelligent colour coding makes this book easy to use and effective in results. This fully illustrated.

 

Learn Hindi Through English Medium

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-60-0

Pages : 200

This methodical book is based on extensive R&D, Effective Techniques and Improved Ways beneficial to the Readers to give them proper return for their investment of Time and Money. The book begins with simple primary steps and moves forward with authentic examples coupled with Progressive Exercises suitable to each context to bring home the topic being discussed. The Vocabulary and Illustrations are selected carefully to offer a window to the topics, as used in Real Life Situations. You will not find such contemplative work in any Hindi learning book.

 

Learn Hindi Through English Medium, Advanced Level

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-60-0, Pages : 250

Tamil Teacher

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-61-7

Pages : 240

Teach or Learn to ‘Make Your Own Sentences’ and then Speak Tamil. Primary to Intermediate, With this novel scientific method. Tamil Teacher is a step-by-step progressive approach with cumulative learning from the basic alphabet to making your own Tamil sentences comfortably. It walks you carefully holding your finger. It is fully English transliterated for your help. It is also coupled with Devanagari script for those who know Hindi or Sanskrit. It has nice diagrams, colourful Chart of Alphabet, valuable Tables, Answers to all Exercises and Examples, Transliterated Students Dictionary of vocabulary, important Notes at the beginning of each chapter and at each step, and much more. Uniquely, in this book you will learn the interrelation between Tamil and Sanskrit. The custom designed unique content presented in this book does not exist in any other book.

 

Urdu Teacher

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-66-2

Pages : 200

Welcome! Urdu Teacher is a unique work founded on serious R&D. With Field Tests it was concluded that a Urdu Book must clearly and comparatively demonstrate the Four Distinct Positions of each of the 39 Urdu Character, in order to be a successful Urdu Teacher. Therefore, the first 39 chapters, along with their comparative charts, of this book are intelligently devoted for this vital aspect.

          It is a step-by-step systematic approach with cumulative learning from the basic alphabet to making your own Urdu sentences comfortably. It walks you carefully holding your finger. It is fully English transliterated for your help. It is also coupled with Devanagari script for those who understand India’s National Language Hindi. It has nice diagrams, colourful Chart of Alphabet, valuable Tables, Answers to all Exercises and Examples, Transliterated Students Dictionary of vocabulary, important Notes at the beginning of each chapter and at each step, and much more. It is second to none!

 

Gurumukhi Teacher

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-76-1

Pages : 120

This methodical Colour Coded and nicely illustrated book is based on extensive R&D, Effective Techniques and Improved Ways beneficial to the Readers to give them proper return for their investment of Time and Money. The Vocabulary and Illustrations are selected carefully to offer a window to the topics. The Colour coding make this book effective in results and easy for use. You will not find such contemplative and innovative work in any Punjabi-Gurumukhi learning book. This book is designed to learn GURUMUKHI, but you will learn Punjabi too.

 

Bengali Teacher

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-74-2

Pages : 150

Teach or Learn to ‘Make Your Own Sentences’ and then Speak Bengali. Primary to Intermediate, With this novel scientific method. Bengali Teacher is a step-by-step progressive approach with cumulative learning from the basic alphabet to making your own Bengali sentences comfortably. It walks you carefully holding your finger. It is fully English transliterated for your help. It is also coupled with Devanagari script for those who know Hindi or Sanskrit. It has nice diagrams, colourful Chart of Alphabet, valuable Tables, Answers to all Exercises and Examples, Transliterated Students Dictionary of vocabulary, important Notes at the beginning of each chapter and at each step, and much more. The custom designed unique content presented in this book does not exist in any other book

 

Marathi Teacher

Author : Prof. Ratnakar Narale

ISBN : 978-1-989416-69-6

Pages : 150

Teach or Learn to ‘Make Your Own Sentences’ and then Speak Marathi. Primary to Intermediate, With this novel scientific method. Marathi Teacher is a step-by-step progressive approach with cumulative learning from the basic alphabet to making your own Marathi sentences comfortably. It walks you carefully holding your finger. It is fully English transliterated for your help. It is also coupled with Devanagari script for those who know Hindi or Sanskrit. It has nice diagrams, colourful Chart of Alphabet, valuable Tables, Answers to all Exercises and Examples, Transliterated Students Dictionary of vocabulary, important Notes at the beginning of each chapter and at each step, and much more.

 

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