Ratnakar Narale |
Toronto Canada |
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Ratnakar's Important Cultural Books
रत्नाकर के साहित्य सागर की कुछ झलकियाँ
ISBN 9781989416570
अठारह महापुराण विद्या
Author : Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-29-7
Pages : 518
पुराणों
की
दंतकथाओं
के
बीच
और
अतिरिक्त
जो वि^a
और
विवेक
भंडार
विद्यमान
है
उस
ज्ञानामृत
को
सूक्ष्म
बुद्धि
की
छलनी
से
छान
कर
जो
प्रतीति
नवनीत
प्राप्त
होगा
वह
इस
बोध
परक
ग्रंथ
में
प्रस्तुत
किया
गया
है.
अठारह
महापुराणों
को
पाठकों
की
सुविधा
के
लिए
वर्णानुक्रम
से
:
1.
अग्नि
महापुराण,
2.
कूर्म
महापुराण
7.
ब्रह्मांड
महापुराण,
8.
ब्रह्मवैवर्त
महापुराण
13.
लिंग
महापुराण,
14.
वराह
महापुराण
कालिदास के आठ महाकाव्य
1.
ऋतुसंहार
5.
मेघदूत
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-25-9
Pages :
520
संस्कृत
महाकवि
कालिदास
के
ऋतुसंहार,
कुमारसंभव,
नलोदय,
मालविकाग्निमित्र,
मेघदूत,
रघुवंश,
विक्रमोर्वशी,
शकुन्तला
आदि
आठ
प्रमुख
नाटक-महाकाव्य
एक
ही
स्थान
में
सरल
हिंदी
में
रसर्च-स्कालर,
संशोधक,
छात्र,
कवि
या
साहित्य
प्रेमियों
के
लाभ के लिए
यह
एक
संयुक्त
महाकाव्य
अपूर्व रूप में लिखा
गया
है.
यह
“कालिदास
के आठ महाकाव्य”
का
काव्य
सिंधु
सरल
हिंदी
भाषा
के
दोहा
छंदसूत्र
के
अनुसार
एवं
रागों,
छंदो
और
गीतों
के
साथ
अलंकारमय किया
गया
है.
इस
अपूर्व महाकाव्य
की
सत्यनिष्ठता
प्रस्थापित
करने
और
कायम
रखने के
लिए
कालिदास
महाकवि
के
मूल संस्कृत
पद्य क्रमानुसार
यथा
योग्य
साथ-साथ
दिए
हैं.
आशा
है
प्रस्तुत
अष्ट-महाकाव्य-सागर
पाठकों
और
छात्रों
को
रुचिकर
एवं
लाभदायक
हो.
यह महाकाव्य वर्तमान हिंदी
साहित्य जगत में एक अनुपम एवं महान संयोजन है.
भवभूति के महाकाव्य
Author : Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-19-8
Pages :
200
1.
उत्तररामचरित
2.
महावीरचरित
3.
मालतीमाधव
कालिदास के शकुन्तला छंद मीमांसा
Author : Prof.
Ratnakar Narale
ISBN
978-1-989416-61-7
Pages : 272
संस्कृत
महाकवि
कालिदास
के
शकुन्तला की
छंद
मीमांसा.
कविवर
कालिदास
जी
को
ऋतुसंहार महाकाव्य
लिखते
समय
वाणी
को
रसमय
और
सुंदरतम
अलंकृत
करने
के
साथ-साथ
ही
छंद-सूत्र
के
अनुसार
लघु-गुरु
मात्राओं
की
सुत्रबद्धता
सिद्ध
करने
के
लिए,
क्या-क्या
कष्ट झेलने
पड़े
थे
उनकी
सूक्ष्म
मीमांसा
सुव्यवस्थित
रीति
से
यहाँ
की
गई
है.
यही
पेचीदा
समस्याएँ
कविवर
कालिदास
ने
शकुन्तला
महाकाव्य
लिखते
समय
भी
झेली
थीं.
उस महान काव्य की
संक्षिप्त
छंद
मीमांसा
आगे
वाली
पुस्तक
में
विद्यमान
है.
कालिदास के मेघदूत की छंद मीमांसा
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN
978-1-989416-59-4
Pages : 200
संस्कृत
महाकवि
कालिदास
के
मेघदूत
महाकाव्य
की
छंद
मीमांसा.
कविवर
कालिदास
जी
को
मेघदूत
महाकाव्य
लिखते
समय
वाणी
को
रसमय
और
सुंदरतम
अलंकृत
करने
के
साथ-साथ
ही
छंद-सूत्र
के
अनुसार
लघु-गुरु
मात्राओं
की
सुत्रबद्धता
सिद्ध
करने
के
लिए,
क्या-क्या
पापड़
बेलने
पड़े
थे
उनकी
सूक्ष्म
मीमांसा
सुव्यवस्थित
रीति
से
यहाँ
की
गई
है.
यही
पेचीदा
समस्याएँ
कविवर
कालिदास
ने
ऋतुसंहार
और
शकुन्तला
महाकाव्य
लिखते
समय
भी
झेली
थीं
उन
दोनों
की
संक्षिप्त
छंद
मीमांसा
आगे
वाली
दो
पुस्तकों
में
विद्यमान
है.
कालिदास के ऋतुसंहार की छंद मीमांसा
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN
978-1-989416-60-0
Pages : 183
संस्कृत
महाकवि
कालिदास
के
ऋतुसंहार
महाकाव्य
की
छंद
मीमांसा.
कविवर
कालिदास
जी
को
ऋतुसंहार महाकाव्य
लिखते
समय
वाणी
को
रसमय
और
सुंदरतम
अलंकृत
करने
के
साथ-साथ
ही
छंद-सूत्र
के
अनुसार
लघु-गुरु
मात्राओं
की
सुत्रबद्धता
सिद्ध
करने
के
लिए,
क्या-क्या
कष्ट झेलने
पड़े
थे
उनकी
सूक्ष्म
मीमांसा
सुव्यवस्थित
रीति
से
यहाँ
की
गई
है.
यही
पेचीदा
समस्याएँ
कविवर
कालिदास
ने
शकुन्तला
महाकाव्य
लिखते
समय
भी
झेली
थीं
वह छंद
मीमांसा
यहाँ विद्यमान
है.
While writing the Epic of Ritu-samhar, poet Kalidas, in order to make the
language ornate and most beautiful, as well as to prove the coherence of the
short and long vowels according to the formula of the meters, what
intricacies he had to go through is explained here in a systematic manner.
The same complex problems were faced by poet Kalidas while writing his two
other great work, Shakuntala. The analysis of the meters in this great epic
is given in our book. It is hoped that this study will inspire and provide
ample material for the thinkers, students and the research scholars.
शंकराचार्य के विवेकचूडामणि की छंद मीमांसा
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN
978-1-989416-90-9
Pages :
440
अद्वैत वैदिक धर्म के पुनरुत्थापक आदि शंकराचार्य के महान तात्त्विक चिकित्सा
ग्रंथ
“विवेकचूडामणि”
के छंदों की यह वैयाकरणीय मीमांसा है.
संस्कृत के विशाल साहित्य सागर के महाकाव्य संपदा में 193
छंद-उपछंदों का जितना विस्तृत सोदाहरण प्रयोग छंद प्रचुर विवेकचूडामणि में
विद्यमान है उतना अन्यत्र कहीं प्रयुक्त नहीं है. कविवर
शंकराचार्य जी
की
सुंदरतम
और अलंकृत
वाणी
के
प्रत्येक पद्य के प्रत्येक चरण का छंद-सूत्र,
संधिविग्रह और उनका विश्लेषण सुव्यवस्थित
रीति
से
तालिकाबद्ध पद्धति से यहाँ सुविधाजनक प्रस्तुत किया है.
गीता की छंद मीमांसा
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN
978-1-989416-17-4
Pages : 324
This unique book has
Grammatical analysis of all 108
Chhandas that can be found in the 701 verses of the Bhagavad Gita. The
Chhanda analysis and their charts presented in this book do not exist in any
book. It is a treasure of valuable information for research scholars and
serious Sanskrit Students.
संस्कृत, काव्य, छंद औक व्याकरण स्कालर्स के लिए गीता का छंद मीमांसा एक मात्र
ऐसी पुस्तक है जिसमें मात्रा, गण, छंद, श्लोक, आदि संज्ञाओं का सविस्तर विवेचन
करके गीता के सभी 701 पद्यों के सभी 2804 चरणों के सभी वर्णों की मात्राएँ,
गुण, गण और छंदों का हर विधि से विवरण, हर रीति से जाँच, सुव्यवस्थित वैयाकरणीय
विश्लेषण और वर्गीकरण करके यथोचित तालिकाओं मे प्रस्तुत किया गया है. गीता के
एवं छंदों के स्कॉलर, पंडित और जिज्ञासुओं के लिए यह मीमांसा एक अनमोल देन है.
इस मीमांसा के द्वारा ही हमें ज्ञात होता है कि गीता में 108 विभिन्न छंद
विद्यमान हैं और यहाँ उन सभी 108 छंदों का स्वरूप, व्याख्या, उदाहरण और गीता
में उपस्थित पुनरावृत्ति का गहन अभ्यास दृष्टिगोचर होता है. इस पुस्तक में
प्रस्तुत विशेष तालिकाएँ और मनोरम विश्लेषण अन्यत्र कहीं भी विद्यमान नहीं है.
गीता के 108 छंदों के सविस्तर अभ्यास के अतिरिक्त इस पुस्तक में रुचि के लिए
कुछ अन्य लोकप्रिय छंदों का भी स्वल्प अभ्यास भी दिया गया है.
हिंदू राजतरंगिणी, हिंदी
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-09-9
Pages :
300 Colour
हमारी ब्रह्म निर्मित सनातन हिंदू संस्कृति प्रजापतियों द्वारा प्रजनित
होकर राजा-प्रजा की परंपरा में विकसित होती हुई जिन महान वंश-वृक्षावलियों में
जंबु द्वीप से भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया तक गौरवशाली
मंदिर-मूर्ति शिल्पकला के माध्यम से अमर हुई,
उनका ऐतिहासिक मानचित्रों सहित रंगीन चित्रण इस “हिंदू
राजतरंगिणी” में
हिंदी-संस्कृत के अग्रणी साहित्यकार प्रो. रत्नाकर नराले द्वारा प्रस्तुत है.
यह अद्वितीय पुस्तक
ब्रह्ममानसपु्त्र प्रजापति अत्रि के राजवंश से आरंभ होकर इक्ष्वाकु, ययाति,
रघु, कुरु, यदु, नंद, मौर्य, सातवाहन, कुशाण, चोल, पांड्य, गुप्त, वाकाटक,
पल्लव, कदंब, गंग, बाण, वर्मा, अहोम, चालुक्य, चेर, शिलाहार, परमार, हिंदू
शाही, सोलंकी, चौहान, राष्ट्रकूट, होयसल, सेन, कलचुरि, नायक, सिसोदिया,
वाडियार, वाघेला, भोसले, पेशवा, होलकर, सिंधिया, डोगरा, आदि प्रमुख यथा अनगिनत
अन्य हिंदू राजवंशों के सांस्कृतिक योगदान का दिग्दर्शन कराती है.
पाठकों की ज्ञानवृद्धि,
जानकारी और सुविधा के लिए प्रत्येक राजवंशावलि के राजाओं के नाम के साथ उनका
पारिवारिक संबंध और राज्यकाल अनुक्रम से देकर उस राजवंश की राज्य सीमा का रंगीन
मानचित्र दिखलाया है. उचित स्थानों में राजाओं के सिक्के, राजचिह्न, गद्य और
पद्यमय वर्णन देकर पुस्तक को सुंदर सजाया है. प्रत्येक राजवंशावलि के आरंभ में
उस वंशावली के पूर्व वंशावली का संदर्भ और अंत में उस वंशावली के आगे वाले
वंशावली का संदर्भ दिया है. इस शोधपरक विशाल पुस्तक में विविध अनुक्रम तालिकाओं
के द्वारा किसी भी वंशावली को उसके नाम से अथवा कार्यकाल से खोजा जा सकता है,
तथा ही किसी भी राजा को उसके नाम से अथवा कार्यकाल से खोजा जा सकता है. किसी भी
काल में कौनसा राजवंश या कौनसा राजा विद्यमान था, यह भी देखा जा सकता है. किसी
भी राजवंश के पूर्व ब्रह्मा तक या बाद में 1948 तक कौनसे राजवंश आए यह भी
वंशशृंखला के रूप में चाहो तो निश्चित किया जा सकता है.
भारत की स्वतंत्रता के पूर्व एक हजार वर्ष और स्वातंत्र्य के बाद भी पीछले
70 साल से हमारी
दिव्य हिंदू संस्कृति और इतिहास को दबाया,
छुपाया,
झुठलाया,
नजरअंदाज,
अप्रकाशित और
बदनाम किया गया है.
मगर अब उसे प्रकाशित और
उपलब्ध करना अपना दायित्व समझ कर यह पुस्तक लिखी है.
आशा है कि यह
अनुसंधान पूर्वक ज्ञानगंगा अज्ञाता और ज्ञाता पाठकों की ज्ञान वृद्धि करे और
रिसर्च स्कालर्स के लिए अमर्याद सामग्री का भंडार बन कर अतुलनीय योगदान करे.
हमारे हिंदी-अहिंदी भाषी पाठकों के हित के लिए यह
राजतरंगिणी
हिंदी और अंग्रेज़ी
दोनों भाषाओं में लिखी गई है.
Hindu RajTarangini, English
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-04-4
Pages :
334 Colour
Our
Brahma-originated
Sanatan
Hindu Culture, which was propagated by the Prajapatis and developed into
a King-Subject tradition and whose great Royal Lineages were
immortalized through glorious temple sculpture arts from Jambu Dvipa to
Bharat and Southeast Asia. This unique book “Hindu RajTarangini” by our
Leading Hindi-Sanskrit scholar is colorful presentation of this sacred
history. It is decorated with suitable historical maps.
This unique book
begins from the ancient dynasty of Brahmamanasputra Prajapati Atri and
it continues through the dynasties of Ikshvaku, Yayati, Raghu, Kuru,
Yadu, Nanda, Maurya, Satavahana, Kushan, Chola, Pandya, Gupta, Vakataka,
Pallava, Kadamba, Ganga, Bana, Varma, Ahom, Chalukya, Chera, Shilahar,
Parmar, Hindu Shahi, Solanki, Chauhan, Rashtrakuta, Hoysala, Sen,
Kalachuri, Nayak, Sisodiya, Wadiyar, Vaghela, Bhosale, Peshwa, Holkar,
Scindia, Dogra, etc. as well as countless other Hindu Dynasties and
their cultural contributions.
For augmenting the
knowledge and for the convenience of the readers, a colorful map of the
territory of rule of that dynasty is shown along with the names of the
kings of each dynasty, their family relationships and their period of
reign in chronological sequence. The book is beautifully decorated by
giving pictures of coins and royal emblems and prose and poetic
descriptions of the kings at appropriate places. At the beginning of
each dynasty a reference of the lineage before that dynasty and at the
end a reference to the following lineage is also given. In this huge
research work, through various indices and tables, any lineage can be
searched by its name or tenure, and any king can be located by his name
or period of rule. It can also be seen which dynasty or which king ruled
during any period. Interestingly, we can trace which dynasties came
previous to any dynasty right up to Brahma or we can determine which
dynasties came after that dynasty up to the year 1948, in the form of a
chain of lineages.
महाराणा प्रताप चरित्र, हिंदी
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN : 978-1-989416-38-9
Pages : 130
महाराजा चाच, दाहीर, बप्पा रावल, पृथ्वीराज चौहान, लक्ष्मणसिंह, महारानी पद्मिनी, हम्मीरसिंह, राणा मोकल, राणाकुम्भा, महाराणा संग्रामसिंह, महाराणा उदयसिंह सहित राजपूताने के संपूर्ण इतिवृत्त और राजपूत वंशावलियों और मानचित्र-नक्षों समेत महावीर महाराणा प्रतापसिंह के स्वर्गारोहण तक के विस्तृत हृदयंगम इतिहास का दोहा छंद में गीत संगीत के साथ प्रातःस्मरणीय चरित्र.
श्री शिवाजी चरित्र दोहावली, हिंदी
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-14-3
Pages :
300
यह
ऐतिहास्कि
महाकविता
छत्रपति
श्री
शिवाजी
महाराज
के
अद्भुत
इतिवृत्त
का
संगीतमय
शिवलीलामृत
है.
इस
के
तीन
सहस्र
से
अधिक
दोहों
में
और
एक
शत
से
अधिक
नूतन
एवं
राष्ट्रभक्ति
हिंदी
गीतों
में
राष्ट्रप्रेम
और
प्रेरणा
का
रहस्य
ओतप्रोत
भरा
हुआ
है.
मराठों
का
अनुसंधानात्मक
पूर्ववृत्त
इस
महत्कार्य
की
एक
अनूठी
विशेषता
है.
काव्य शिवाजी चरित्र, मराठी
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-39-6
Pages :
360
काव्य कृष्णायन
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-38-9
Pages :
550
महाकाव्य
ऐसा
न
हुआ
है
न
होगा
कभी.
बाल
श्रीकृष्ण
का
सर्वतोपरी
दैवी
अद्भुत
लीलाओ>
से
ओतप्रोत
भरा
हुआ
मनोरम
चरित्र
और
योगेश्वर
श्रीकृष्ण
का
आध्यात्मिक
गहनता
से
परिपूर्ण
प्रतिभावान
चरित्र
जागतिक
इतिहास
में
अनुपम
तो
है>
ही,
उनको
नये
रूप
से
लिख
कर
उनकी
उत्तमतम
छंद,
राग
सरगम
से
अलंकृत
कवितारूप
यह
प्रस्तुति
अपूर्व,
असामान्य
एवं
अद्वितीय
है.
स्वरलिपि युक्त संगीत-कृष्णायन
विश्व का सर्वप्रथम और एकमेव इतिहास रचेता महाकाव्य है.
बालकृष्ण दोहावली
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-94-5
Pages :
200
प्रस्तुत बाल
श्रीकृष्ण
दोहावली महाकाव्य सर्वतोपरी
दैवी
अद्भुत
लीलाओं
से
ओतप्रोत
भरा
हुआ
व आध्यात्मिक
गहनता
से
परिपूर्ण,
प्रतिभावान
और जागतिक
इतिहास
में
अनुपम
है. विशेष बात यह कि इस काव्य के दोहे बोलचाल की साधारण सरल हिंदी भाषा में ही
रचे गए हैं. भारतीय
संस्कृति
का
ऐसा
कोई
भी
पहलू
नहीं
है
जो
इस
अनूठे
महाकाव्य
में रुचिरता से सन्नद्ध न किया हो. यह
काव्य प्रेमियों के
लिये
दोहाबद्ध
विशाल भांडागार
है.
इसके किसी भी गीत के हारमोनियम स्वर लिपि के लिए संपर्क करें.
राधाकृष्ण दोहावली
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-07-5
Pages :
260
प्रस्तुत राधाकृष्ण दोहावली काव्य सर्वतोपरी दैवी एवं अद्भुत लीलाओं से ओतप्रोत
भरा हुआ है.
यह आध्यात्मिक गहनता से परिपूर्ण,
प्रतिभावान और जागतिक इतिहास में अनुपम है. विशेष बात
यह है कि इस काव्य के दोहे बोलचाल की साधारण सरल हिंदी भाषा में ही रचे गए हैं.
भारतीय संस्कृति का ऐसा कोई पहलु नहीं है जो इस अनूठे काव्य
में रुचिरता से सन्नद्ध न किया हो. यह काव्यप्रेमियों
के लिए एक छंदबद्ध विशाल भांडागार है. इसके किसी भी गीत
के हारमोनियम स्वर लिपी के लिए कृपया लेखक से संपर्क करें.
गीता दोहावली
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-08-2
Pages :
260
Title Gita As She Is In Krishna’s Own Words, 3 Volume Set
Author :
Prof. Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-56-3
Pages
:
360 Colour
About the Book
:
Hard Cover, Coloured
Edition, with Illustrations.
This is a
critical
research work.
This book is a
lifetime study for one who has dedication and patience to learn and
contemplate on every word of the
divine
Gita. May you be a new learner, a
scholar, an author, a swami, a Professor or an Institution, this is
the right resource for a critical study for those who
wish to go beyond. If one wants
to learn
or teach
Gita through Sanskrit and Sanskrit through Gita,
there is no substitute. From an elementary level to most scholarly level, to
know the "Gita
As She is in
Krishna's Own Sanskrit Words,"
this book is the sole authority. Regardless of how many
books on Gita you may have read, studied or written, while going through
this treasure of information, you will discover
many
Surprises,
Interesting facts and Important
points,
which you would never have known without going through this book. This books
removes all the
misconceptions and wrong notions one has collected without properly
knowing what the Sanskrit words of Krishna truly mean.
Seeing is believing.
गीता अनुष्टुभ् संस्करणम्
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-12-9
Pages :
230
गीता का शदकोश और अनुक्रमणी
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-15-0
Pages :
420
गीता पठनम्, संस्कृत, English
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN : 978-1-989416-19-8, ISBN : 978-1-989416-20-4
Pages :
80
गीता ज्ञान कोश, मराठी
ISBN :
978-1-989416-15-0
Pages :
500
This is a critical research work.
This book is a
lifetime study for one who
has dedication and patience to learn and
contemplate on every word
of the
divine Gita.
May you be a New learner, a
Scholar, an Author, a Swami, a Professor or an Institution,
this is the right resource for a
critical study for those who wish to go beyond.
If one
wants
to learn or teach
Gita through Sanskrit and Sanskrit through Gita,
there is no substitute. From an elementary level to most scholarly level, to
know the
Gita As She is
in Krishna's Own Sanskrit Words,
this book is the sole authority.
काव्य रामायण
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-37-2
Pages :
600
इतिहास
रचनेवाला
संगीत
यह
महाकाव्य
अद्भुत
है.
रघुवीर
श्रीराम
चंद्र
व
परम
भक्त
श्री
हनुमान
के
सर्वतोपरी
दैवी
अद्भुत
लीलाओ
से
ओतप्रोत
भरा
हुआ
यह
मनोरम
चरित्र
आध्यात्मिक
गहनता
से
परिपूर्ण
चरित्र
जागतिक
इतिहास
में
अनुपम
है.
नये
रूप
रामायण
लिख
कर
उसे
उत्तमतम
छंद,
राग
सरगम
से
अलंकृत
की
हुई
यह
कवितारूप
प्रस्तुति
अपूर्व,
असामान्य
एवं
अद्वितीय
है.
रामायण दोहावली
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-13-6
Pages :
575
मनोरम 5200 दोहों का,
रागबद्ध गीत-संगीत
महाकाव्य
ऐसा
कभी
हुआ
न
होगा.
रघुवीर
श्रीराम
चंद्र
व
परम
भक्त
श्री
हनुमान
के
सर्वतोपरी
दैवी
अद्भुत
लीलाओं
से
ओतप्रोत
भरा
हुआ
यह
मनोरम
चरित्र
आध्यात्मिक
गहनता
से
परिपूर्ण
चरित्र
जागतिक
इतिहास
में
अनुपम
हैं.
नये
रूप
में रामायण
लिख
कर
उसे
उत्तमतम
छंद,
राग
सरगम
से
अलंकृत
की
हुई
यह
दोहाबद्ध
कवितारूप
प्रस्तुति
अपूर्व,
असामान्य
एवं
अद्वितीय
है.
तुलसी रामायण दोहावली
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-897416-19-8
Pages : 1000
रघुवीर
श्रीराम
चंद्र
व
परम
भक्त
श्री
हनुमान
के
सर्वतोपरी
दैवी
अद्भुत
लीलाओं
से
ओतप्रोत
भरा
हुआ
यह
मनोरम
चरित्र
आध्यात्मिक
गहनता
से
परिपूर्ण
चरित्र
जागतिक
इतिहास
में
अनुपम
हैं.
उत्तमतम
छंद,
राग
सरगम
से
अलंकृत
की
हुई
यह
दोहाबद्ध
कवितारूप
संगीत श्रीसत्यनारायण व्रत कथा
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-83-9
Pages :
100
Yoga Sutras of Patanjali, with Asana Steps
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-88-4
Pages :
270, full size
(A) Samadhipadah :
Definitions embedded in the Yoga Sutras, The
Science of Yoga
1. Yoga defined 2.
Mind-set 3. Proof 4. Perversion 5. Unreality 6. Unawareness 7. Revelation 8.
Non-attachment 9. Non-desire in the fruit of karma 10. Oneness
(B) Sadhanapadah :
11. Discipline of right actions 12.
Affliction 13. The perverse state of mind 14.
Illusion of
Indifference 15. Attachment 16.
Hatred 17. Fear of Death 18. The root of afflictions 19. Unhappiness 20. The
perceptible world 21. Attributes 22. Beholder 23. Beheld 24. Union 25.
Perversion of mind 26. Future pains and Liberation 27. Discernment 28.
Cognition 29. Component of Yoga 30. Self-controls 31. Universality 32.
Restraints 33. Doubt, Violence 34. Obstacles 35. Non-violence 36.
Truthfulness 37. Celibacy 38. Abstinence 39. Purity 40. Contentment 41.
Austerity 42. Study of scriptures 43. Faith in God 44. Steady State 45.
Indifference to Duality 46. Breath Control 47. Uniformity
(C) Vibhutipadah :
48. Steady Abstraction 49. Concentration 50.
Meditation 51. Restraint 52. Light of Cognition 53. Interior 54. Exterior
55. One-pointedness 56. Righteous 57. Reason and Result 58. Perception of
Speech 59. Reincarnation 60. Intuition 61. Becoming Invisible 62. Knowledge
of Death 63. Strength like an Elephant 64. Knowledge of Remote Objects 65.
Knowledge of Universe 66. Hunger and Thirst Control 67. Knowledge of Energy
Centers 68. Universal Knowledge 69. Self Realization 70. Knowledge of
Universe 71. Success 72. Entering in Other’s Body 73. Micro hearing 74.
Arial Travel 75. Aura 76. Conquering the Nature 77. Beauty and Strength 78.
Conquering Organs 79. Liberation
सारेगम संगीत गुरु
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-28-0
Pages :
250
संगीत
सिखने,
सिखाने
एवं
आनंद
लूटने
के
लिय
सभी
नये
हंदी
गीतों
सहित
इतिहास
कर्त्री
पुस्तक.
गीत रत्नाकर, रत्नाकर का भक्ति गीत सागर
Author : Prof. Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-11-2
Pages :
500
इस बृहत् पुस्तक में हमारी उज्जवल
भारतीय सांस्कृति के 150 से अधिक विभिन्न विषयों पर लिखे हुए सुंदर
श्री
गणेश,
देवी
सरस्वती,
भगवा
ध्वज,
भारत
राष्ट्र
गौरव,
जय
जवान,
महाराष्ट्र
गौरव,
माता-पिता
गौरव,
राष्ट्रभाषा
हिंदी,
देववाणी
संस्कृत,
महाराष्ट्र
भाषा
मराठी,
लक्ष्मी
नारायण,
गजेंद्र
मोक्ष,
सूर्य
नारायण,
सत्यनारायण
भगवान,
शिव-पार्वती-गणेश,
ब्रह्म
विष्णु
महेश,
श्रवण
कुमार,
दशरथ
जी,
रामचंद्र
प्रभु,
जनक
जी,
सीताराम,
सीता
देवी,
वनवास
गमन,
वीर
जटायु,
वीर
संपाती,
गुह
निषाद,
नीतिवीर
विभीषण,
सुबंधु
लक्ष्मण,
सुबंधु
भरत,
महावीर
हनुमान,
सेतु
बंधन,
लंका
दहन,
छातीफाड़
हनुमान,
पुष्पक
विमान,
रामराज्य,
दीपावली,
रामायण,
लव-कुश,
कृष्ण
कुमार,
देवकी
नंदन,
कृष्ण
कन्हैया,
गोविंद,
माखन
चोरी,
हरि
घनश्याम,
नंद
गोपाल,
रासलीला,
राधेश्याम,
मोहन,
नंद
किशोर,
राधाकृष्ण,
नटखट
श्याम,
मुरली
वाला,
पूतना
वध,
वत्सासुर
वध,
तृणावर्त
वध,
बकासुर
वध,
अघासुर
वध,
गोवर्धनधारी,
कालिया
मर्दन,
केशिनीषूदन,
कंस
निकंदन,
योगेश्वर
श्रीकृष्ण,
अध्यात्म
ज्ञान,
ब्रह्मज्ञान,
माया,
आत्मशाँति-विश्वशाँति,
वसुधैव
कुटुम्बकम्,
भूत
दया,
वेद
वाणी,
अहिंसा,
सांख्य
योग,
कर्मयोग,
धर्म,
ज्ञान-अज्ञान,
धर्म
युद्ध,
अवतार,
बुद्धि
योग,
भक्तियोग,
भक्ति-भाव,
भवचक्र,
श्रद्धा,
योग
सिद्धि,
प्रणव,
विभूति
योग,
ज्ञान
योग,
पुरुष-प्रकृति,
विश्वरूप
दर्शन,
संसार
वृक्ष,
गुणमाया,
गीता
सार,
शबरी भीलनी,
पुंजिकस्थला
देवी,
अहल्या
देवी,
अनसूया
देवी,
देवी
मंदोदरी,
महाराणी
पद्मावती,
भक्त
मीरा
बाई,
राजमाता
जिजाबाई,
महारानी
सईबाई,
झाँसी
की
रानी,
साँई,
श्री
दत्तात्रय,
गुरु
कृपा,
नारद
मुनि,
वाल्मीक
मुनि,
व्यास
मुनि,
भरद्वाज
मुनि,
शरभंग
मुनि,
सुतीक्ष्ण
मुनि,
महर्षि
पतंजलि,
गुरु
नानक,
गुरु
रामदास,
मेरे भजन
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-20-0
Pages :
30
Flip-Sorted Reverse-Order English Dictionary
Author :
Prof. Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-13-6
Pages :
250
An Easy Tool for
Searching English Words of Desired Word Endings. This valuable resource word
search tool, with over 30,000 selected words rearranged and grouped
alphabetically based on their spellings in reverse order starting from right
to left, provides an easy way for finding specific or rhyming words. This
Dictionary is useful for Students, Teachers, Writers, Poets, Crossword
Solvers, Special Education Professionals and Communication Disorder
Specialists.
The Thorough Devanagari Teacher
Author : Prof. Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-01-3
Pages :
100
This
Thorough Devanagari Teacher is based on extensive Field Testing and
R&D,
Effective Techniques and Improved Ways beneficial to the Readers to give
them success and proper return for their investment of Time and Money.
The custom designed and unique presentations given in this book do not exist
in any other book.
Sanskrit Primer
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-77-8
Pages :
200
This
new
COLOUR
CODED
and methodical book is based on extensive
R&D,
Effective Techniques and Improved Ways beneficial to the Readers to give
them proper return for their investment of Time and Money. The
COLOUR
coding
makes this book easy to use and effective in results.
The book
begins with simple primary steps and moves forward with
authentic examples
coupled with
Progressive exercises
suitable to each context to bring home the topic being discussed. The
Vocabulary and Illustrations are selected carefully. You will not find such
contemplative work in any
Sanskrit
learning book. It is a
treasure of new ideas, techniques, information and reference material. It is
rich with
examples,
exercises
and “Answers to all
Exercises.”
Sanskrit Teacher All-in-One
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-54-9
Pages : 700 pages
Sanskrit Grammar and Reference Book
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-68-6
Pages : 700 pages
Sanskrit Grammar and
Reference Book by Prof. Ratnakar Narale is an ocean
of essential information, in English Transliteration as well as in
Sanskrit Devanagari script. This All-in-One manual includes complete
Sanskrit Grammar and comprehensive Sanskrit Reference Book for all levels of
learning. It has
unique Charts,
Flowcharts,
Golden Rules,
Dictionaries of Nouns, Adverbs, Verb Roots, Conjugations of every Sanskrit
verb, Case Inflections all possible noun types, and every element of grammar
you would ever need to know, but may not find elsewhere. It has
all Chhand-Sutras of Pingala, Yoga-Sutras of Patanjali, and much
more. A must for Sanskrit students, this book is one of its kind, worth its
weight in gold. The
question is not, “can you afford to buy it,” the question is “can you afford
not to buy this priceless book?”
Hindi Teacher for Hindu Children
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-75-4
Pages :
300
Endorsed by great
men, this book is methodically
Colour
Coded and incorporated with a
Students
English-Hindi
Transliterated Dictionary.
Language is the path way to the culture.
Children are our precious wealth and our
future. They need to be taught our lofty Hindu Values in a fun filled
manner. While teaching the Hindi language, our children must be enlightened
in the glorious
Hindu Dharma,
our beloved
India, its holy
Rivers and great
Mountains,
the interesting Indian
Flora
and Fauna, the glorious
Hindu History,
the righteous
Hindu Ethics,
the sacred
Hindu
Scriptures,
the holy
Hindu Gods,
the noble
Hindu Forefathers, the illustrious
Hindu Heroes,
the venerable
Hindu Saints,
the blissful
Hindu Prayers, the grand
Hindu Festivals,
the peaceful
Hindu People,
the divine
Hindu Worship, the celestial
Hindu Temples,
the classical
Hindu music,
the towering
Hindu Discoveries in Science and Arts, the unique
Hindu Philosophies
of Yoga, Vegetarianism, Non-violence, and Universal brotherhood
(वसुधैव कु़टुम्बकम्).
Every Hindu child, learning Hindi language, must
also be taught Hindu Sanskriti, Deva-Vani Sanskrit and
the immortal Sanskrit shlokas. This the sincere
Dharmic Objective of this book.
This book is based on extensive Field Testing and
R&D,
Effective Techniques and Improved Ways beneficial to the Readers to give
them success and proper return for their investment of Time and Money.
The intelligent
colour coding makes this book easy to use and effective in results.
This fully illustrated.
Learn Hindi Through English Medium
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-60-0
Pages :
200
This
methodical book is based on extensive
R&D, Effective Techniques and Improved Ways beneficial to the Readers
to give them proper return for their investment of Time and Money. The book
begins with simple primary steps
and moves forward with
authentic examples
coupled with
Progressive Exercises suitable to each context to
bring home the topic being discussed. The Vocabulary and Illustrations are
selected carefully to offer a window to the topics, as used in Real Life
Situations. You will not find such contemplative work in any Hindi learning
book.
Learn Hindi Through English Medium, Advanced Level
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-60-0,
Pages :
250
Tamil Teacher
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-61-7
Pages :
240
Teach or Learn to ‘Make Your Own Sentences’ and then Speak
Tamil. Primary to Intermediate,
With this novel scientific method.
Tamil Teacher is a step-by-step progressive approach with cumulative
learning from the basic alphabet to making your own Tamil sentences
comfortably. It walks you carefully holding your finger. It is fully English
transliterated for your help. It is also coupled with Devanagari script for
those who know Hindi or Sanskrit. It has nice diagrams, colourful Chart of
Alphabet, valuable Tables, Answers to all Exercises and Examples,
Transliterated Students Dictionary of vocabulary, important Notes at the
beginning of each chapter and at each step, and much more. Uniquely, in this
book you will learn the interrelation between Tamil and Sanskrit.
The custom
designed unique content presented in this book does not exist in any other
book.
Urdu Teacher
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-66-2
Pages :
200
Welcome!
Urdu Teacher is a unique work founded on
serious R&D. With
Field Tests it was concluded that a Urdu Book must
clearly and comparatively demonstrate the
Four Distinct Positions of each of
the 39 Urdu Character, in order to
be a successful Urdu Teacher. Therefore, the first 39 chapters, along with
their comparative charts, of this book are
intelligently devoted for this vital
aspect.
It is a step-by-step systematic approach
with cumulative learning from the basic
alphabet to making your own Urdu sentences
comfortably. It walks you carefully holding your finger. It is
fully English transliterated for your help.
It is also coupled with Devanagari script for those who understand India’s
National Language Hindi. It has nice diagrams,
colourful Chart of Alphabet, valuable Tables,
Answers to all Exercises and Examples,
Transliterated Students’
Dictionary of vocabulary,
important Notes at the beginning of each chapter and at each step, and
much more. It is
second to none!
Gurumukhi Teacher
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-76-1
Pages :
120
Bengali Teacher
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-74-2
Pages :
150
Teach or Learn to ‘Make
Your Own Sentences’ and then Speak Bengali. Primary to
Intermediate, With this novel scientific method. Bengali Teacher is a step-by-step
progressive approach with cumulative learning from the basic alphabet to
making your own Bengali sentences comfortably. It walks you carefully
holding your finger. It is fully English transliterated for your help. It is
also coupled with Devanagari script for those who know Hindi or Sanskrit. It
has nice diagrams, colourful Chart of Alphabet, valuable Tables, Answers to
all Exercises and Examples, Transliterated Students Dictionary of
vocabulary, important Notes at the beginning of each chapter and at each
step, and much more.
The custom designed
unique content presented in this book does not exist in any other book
Marathi Teacher
Author :
Prof.
Ratnakar Narale
ISBN :
978-1-989416-69-6
Pages :
150
Teach or Learn to ‘Make Your Own Sentences’ and
then Speak Marathi. Primary to Intermediate,
With this novel scientific method.
Marathi Teacher is a step-by-step progressive approach with cumulative
learning from the basic alphabet to making your own Marathi sentences
comfortably. It walks you carefully holding your finger. It is fully English
transliterated for your help. It is also coupled with Devanagari script for
those who know Hindi or Sanskrit. It has nice diagrams, colourful Chart of
Alphabet, valuable Tables, Answers to all Exercises and Examples,
Transliterated Students Dictionary of vocabulary, important Notes at the
beginning of each chapter and at each step, and much more.
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